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SANATANI KATHA MEIN HANUMAN JI KI JANM

हनुमान जी के जन्म की कथा हिंदू धर्म के प्राचीन ग्रंथों में प्रमुखता से वर्णित है। विशेष रूप से रामायण, महाभारत, और अन्य पुराणों में उनके जन्म, उनके कार्यों और उनके महत्व का विस्तार से विवरण मिलता है। हनुमान जी को भगवान शिव के अवतार के रूप में पूजा जाता है और उन्हें भक्तों के दुखों को दूर करने वाले, शक्ति और साहस के प्रतीक के रूप में माना जाता है। उनकी जन्मकथा कई रोचक पहलुओं से भरपूर है, जिनमें देवी अंजनी, भगवान शिव, और पवन देवता का योगदान महत्वपूर्ण है।

हनुमान जी का जन्म – संक्षिप्त परिचय

हनुमान जी का जन्म भगवान शिव के अंश से हुआ था। उन्हें अंजनी और केसरी के पुत्र के रूप में जन्म मिला। इसके अलावा, उन्हें पवन देवता (वायु देवता) का आशीर्वाद प्राप्त था, जो उनकी शक्ति का प्रमुख कारण था। हनुमान जी के जन्म से जुड़ी कथा, विशेष रूप से रामायण के अरण्य कांड में विस्तार से मिलती है, जहां उनका जन्म और शक्ति से संबंधित विभिन्न घटनाओं का वर्णन किया गया है।

1. देवी अंजनी और केसरी का विवाह

हनुमान जी के जन्म की कथा को समझने के लिए हमें पहले अंजनी और केसरी के बारे में जानना होगा। अंजनी एक सुंदर और पवित्र महिला थीं जो सिद्ध वंश से थीं। उनका पति केसरी था, जो एक शक्तिशाली और महान बलशाली वानर थे। वे दोनों परम भक्त थे और भगवान शिव की उपासना करते थे। एक दिन भगवान शिव ने उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर उन्हें वरदान दिया कि वे उनकी संतान के रूप में प्रकट होंगे।

2. भगवान शिव का आशीर्वाद

भगवान शिव ने अपनी पत्नी देवी पार्वती से कहा कि वे अंजनी के गर्भ में प्रवेश करेंगे और उनके द्वारा उत्पन्न होने वाले पुत्र को विशेष शक्ति और बल मिलेगा। भगवान शिव का आशीर्वाद पाने के बाद, अंजनी ने भगवान शिव के भक्तिरूप रूप में गर्भधारण किया। यह घटना इस बात का प्रतीक है कि हनुमान जी का जन्म एक दिव्य घटना थी और उनके भीतर भगवान शिव की विशेष शक्तियां थीं।

3. पवन देवता का आशीर्वाद

हनुमान जी के जन्म की एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि पवन देवता (वायु देवता) भी उनके साथ जुड़े थे। जैसा कि पुराणों में वर्णन मिलता है, पवन देवता ने भी अंजनी के गर्भ में प्रवेश किया और वहां से हनुमान जी का जन्म हुआ। पवन देवता के आशीर्वाद से हनुमान जी को असीमित गति, शक्ति और उछाल की क्षमता प्राप्त हुई। यही कारण था कि वे भगवान राम के लिए एक अद्वितीय सेनानी बने।

4. हनुमान जी का बचपन

हनुमान जी का बचपन बहुत ही रोचक था। जब वह छोटे थे, तो उन्हें अपनी शक्तियों का सही से ज्ञान नहीं था। एक बार, हनुमान जी ने अपने बल के कारण सूर्य देवता को भी पकड़ लिया था। वे इसे फल समझकर सूर्य की ओर बढ़े थे। इस घटना से देवताओं में घबराहट मच गई और उन्होंने भगवान इंद्र से मदद मांगी। इंद्र देव ने अपने वज्र से हनुमान जी को मारा, जिससे उनका मुंह बंद हो गया। इससे यह स्पष्ट हुआ कि हनुमान जी की शक्ति भगवान के आशीर्वाद से अत्यधिक थी।

5. हनुमान जी का नामकरण

हनुमान जी के मस्तक पर चोट लगने के कारण उनका नाम “हनुमान” पड़ा, जिसका अर्थ है “हनु” (गाल) और “मान” (कमजोरी)। हनुमान जी को अपनी शक्तियों का एहसास हुआ और वे भगवान राम के परम भक्त बन गए।

6. हनुमान जी की भूमिका रामायण में

हनुमान जी की कथा रामायण में प्रमुख रूप से प्रकट होती है। उनके जन्म से लेकर उनकी विभिन्न करतूतों और राम के प्रति असीम श्रद्धा तक, उनकी भूमिका रामायण में बहुत महत्वपूर्ण है। हनुमान जी ने भगवान राम के साथ मिलकर रावण से उनकी पत्नी सीता को छुड़वाने के लिए असंख्य कठिनाइयों का सामना किया।

7. रामायण में हनुमान जी की भूमिका – कुछ प्रमुख घटनाएँ

  • सीता जी से मिलन: जब रावण ने सीता जी को लंका में बंदी बना लिया था, तब हनुमान जी ने समुद्र पार करके लंका पहुंचे और सीता जी से मिले। उन्होंने राम का संदेश दिया और सीता जी को उनके उद्धार का विश्वास दिलाया।
  • राम के लिए संजीवनी बूटी: जब लक्ष्मण जी की हालत युद्ध में गंभीर हो गई, तब हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लाने के लिए पहाड़ को ही उठा लिया और राम को संजीवनी बूटी प्रदान की, जिससे लक्ष्मण जी की जान बच गई।
  • लंका दहन: हनुमान जी ने लंका में आग लगाई, जिससे रावण का महल जलकर राख हो गया। यह घटना हनुमान जी की असीम शक्तियों का प्रतीक बन गई।

8. हनुमान जी का महत्व और उनके आशीर्वाद

हनुमान जी को सर्वशक्तिमान और अनंत शक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। उन्हें संकटमोचन के रूप में जाना जाता है, क्योंकि वे अपने भक्तों के सारे संकट दूर करने का कार्य करते हैं। हनुमान जी के दर्शन और भक्ति से जीवन में निरंतर सफलता, शांति और सुख प्राप्त होता है।

हनुमान जी का श्रीराम के वक्त में आना एक बहुत ही महत्वपूर्ण और प्रेरणादायक कहानी है। हनुमान जी का जन्म और उनका श्रीराम के साथ संबंध बहुत ही अद्भुत है। उनकी वफादारी, समर्पण, शक्ति और बुद्धिमत्ता ने उन्हें श्रीराम के सबसे प्रिय और शक्तिशाली भक्तों में से एक बना दिया। इस लेख में हम हनुमान जी के श्रीराम के साथ संबंध और उनके द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करेंगे।

हनुमान जी का जन्म और उनका व्यक्तित्व

हनुमान जी का जन्म वायुदेव के पुत्र के रूप में हुआ था। उनका असली नाम ‘हनुमान’ है, जो ‘हना’ (हाथी) और ‘मान’ (गौरव) शब्दों से लिया गया है। उनके पिता वायुदेव थे और माता अंजनी थी। हनुमान जी का रूप अत्यंत बलशाली और तेजस्वी था। उनका व्यक्तित्व भी बेहद साहसी, बुद्धिमान और दयालु था। उनके अंदर अपार शक्ति और ज्ञान था, और उन्हें भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त था। वे अपने पिता वायुदेव के समान ही तेज, शक्ति और समर्पण के प्रतीक थे। http://www.alexa.com/siteinfo/sanatanikatha.com 

हनुमान जी का श्रीराम से मिलना

हनुमान जी की श्रीराम से पहली मुलाकात तब हुई जब वे राम के भाई लक्ष्मण को सजीव करने के लिए संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय गए थे। इस समय उनकी भक्ति और साहस का पता चलता है। जब हनुमान जी ने श्रीराम के साथ समय बिताया और उन्हें भगवान के रूप में पहचाना, तो उन्होंने अपनी पूरी श्रद्धा और समर्पण के साथ श्रीराम की सेवा करने का प्रण लिया। वे श्रीराम के आदर्शों के अनुरूप जीवन जीने लगे।

श्रीराम के समय में हनुमान जी की भूमिका

हनुमान जी ने श्रीराम के समय में जो कार्य किए, वे न केवल अद्वितीय थे, बल्कि उन्होंने श्रीराम के विजय अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। हनुमान जी का चरित्र बहुत ही प्रेरणादायक है, और उनके द्वारा किए गए कुछ प्रमुख कार्यों ने उन्हें श्रीराम के सबसे प्रिय भक्तों में से एक बना दिया।

1. श्रीराम का संदेश लेकर सीता माता के पास जाना

जब रावण ने सीता माता का अपहरण किया और उन्हें लंका ले गया, तो श्रीराम को उनकी खोज के लिए हनुमान जी को भेजा। हनुमान जी ने समुद्र को लांघकर लंका पहुंचे और सीता माता से मिले। उन्होंने श्रीराम का संदेश सीता माता तक पहुँचाया और उनसे मिलकर उन्हें आश्वासन दिया कि श्रीराम उन्हें जल्दी मुक्त करेंगे। यह घटना हनुमान जी की बहादुरी और विश्वास का प्रतीक है।

2. राम सेतु निर्माण में भागीदारी

हनुमान जी ने श्रीराम के आदेश पर समुद्र को लांघने के लिए राम सेतु का निर्माण किया। हनुमान जी और उनके सहयोगियों ने रेत और पत्थरों को एक साथ जोड़कर राम सेतु का निर्माण किया, जो श्रीराम की सेना को लंका तक पहुँचने का रास्ता प्रदान करता है। यह कार्य उनके अद्भुत कौशल और बल का प्रतीक था।

3. रावण के दूतों का वध

हनुमान जी ने लंका में प्रवेश करने के बाद रावण के दूतों को भी परास्त किया। उनकी शक्ति और वीरता ने रावण के दूतों को डराया और वे जान गए कि हनुमान जी जैसे महान भक्त और योद्धा से मुकाबला करना असंभव है।

4. लक्ष्मण को संजीवनी बूटी देना

जब युद्ध के दौरान लक्ष्मण को रावण के भाई कुम्भकर्ण द्वारा घायल कर दिया गया, तब हनुमान जी ने संजीवनी बूटी लेने के लिए हिमालय की ओर प्रस्थान किया। वे संजीवनी बूटी लेकर आए और लक्ष्मण को जीवित किया। इस कार्य ने उनके धैर्य, समर्पण और सेवा भावना को प्रदर्शित किया।

5. रावण के साथ युद्ध में श्रीराम की सहायता

हनुमान जी ने रावण के साथ युद्ध में श्रीराम की पूरी तरह से सहायता की। उन्होंने रावण के सेनापतियों का वध किया और श्रीराम के साथ मिलकर रावण को हराया। हनुमान जी की वीरता ने श्रीराम के विजय अभियान को सफल बनाया।

हनुमान जी की भक्ति और समर्पण

हनुमान जी का श्रीराम के प्रति भक्ति और समर्पण का कोई मुकाबला नहीं था। वे अपने प्रभु श्रीराम के आदेशों को बिना किसी शर्त के मानते थे। वे हमेशा श्रीराम के साथ रहते थे और उनके हर कार्य को पूरा करने के लिए तत्पर रहते थे। हनुमान जी की भक्ति का सबसे बड़ा उदाहरण उनकी कंठी माला और राम के नाम का जप है। हनुमान चालीसा में उनका उल्लेख इसी प्रकार की भक्ति और समर्पण के प्रतीक के रूप में किया गया है।

हनुमान जी की शक्ति और महिमा

हनुमान जी की शक्ति केवल शारीरिक बल तक सीमित नहीं थी, बल्कि उनकी मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति भी अद्वितीय थी। वे भगवान शिव के आशीर्वाद से न केवल अजेय थे, बल्कि उनका ज्ञान और समझ भी अत्यधिक था। हनुमान जी की महिमा इस बात में छिपी है कि वे केवल शरीर से बलशाली नहीं थे, बल्कि उन्होंने अपने मन, वचन और क्रिया से श्रीराम की सेवा की। उनकी शक्तियों के बारे में बहुत सी कथाएँ प्रचलित हैं, जो उनकी महानता और भक्ति को दर्शाती हैं।

निष्कर्ष

हनुमान जी ने श्रीराम के समय में अपनी बहादुरी, भक्ति और शक्ति से श्रीराम की विजय को सुनिश्चित किया। उनकी वीरता और समर्पण आज भी हम सभी के लिए प्रेरणास्त्रोत हैं। हनुमान जी का जीवन और उनका श्रीराम के प्रति प्रेम और सेवा का आदर्श हम सभी को अपने जीवन में अपनाने की प्रेरणा देता है। उनके कार्यों से यह सिद्ध होता है कि भक्त की शक्ति और भक्ति में इतनी ताकत होती है कि वह अपने प्रभु की इच्छाओं को पूरा कर सकता है।

हनुमान जी का जन्म केवल एक ऐतिहासिक घटना नहीं है, बल्कि यह एक दिव्य घटना है, जिसमें अंजनी, केसरी, भगवान शिव और पवन देवता के आशीर्वाद से हनुमान जी का जन्म हुआ। हनुमान जी की शक्तियाँ, उनकी भक्ति और उनका साहस हर व्यक्ति को प्रेरित करते हैं। उनकी कथा यह सिखाती है कि अगर हमें अपने कार्यों में ईमानदारी और समर्पण के साथ कड़ी मेहनत करनी है, तो हम किसी भी संकट को पार कर सकते हैं। हनुमान जी का जीवन हमारी शक्ति और साहस का प्रतीक है।

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